नीबू का सेवन करने के फायदे

नींबू एक रोग निवारक फल है | इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन ‘सी’ पाया जाता है | इसमें -पोटेशियम, लोहा,सोडियम, मैगनेशियम, तांबा, फास्फोरस और क्लोरीन पाया जाता है | प्रोटीन, वसा और कार्बोज भी पर्याप्त मात्रा में हैं । नींबू का सेवन करने वाले लोग रोगमुक्त होते हैं |
नींबू द्वारा ठीक होने वाले रोगबाल गिरना – यदि सिर के बाल पकते, टूटते या उनमें जूं पड़ जाये तो नीबू के रस से सिर के बालों की मालिश करनी चाहिए |बाल सफ़ेद होना – नजला, वंशानुगत, विटामिन्स की कमी, मानसिक परेशानी या अत्यधिक चिंता के कारण सिर के बाल असमय में सफ़ेद हो गए हों तो नींबू के रस में सूखा कपड़छन किया हुआ बारीक आंवला मिलाकर सिर पर लेप (आवश्यकतानुसार) करना चाहिए | बाल काले, चिकने और घुंघराले हो जायेंगे | साथ ही इससे बालों की अन्य व्याधियां भी समाप्त हो जायेंगी |रोग का कारण मानसिक चिंता आदि हो तो उसको छोड़ देना चाहिए |

मोतियाबिन्द – रोग की प्रारम्भिक अवस्था में नींबू के रस में थोड़ा सेंधानमक मिला व घिसकर दिन में दो बार पर्याप्त समय तक लगाते रहने से मोतियाबिन्द का बढ़ना रुक ता है |चेहरे के चकत्ते – रक्तविकार, अभक्ष्य-भक्षण, जलवायु या अन्य किसी कारण से चेहरे पर गोल-चिथरे से, काले चकत्ते बनकर मुख के सौन्दर्य को बिगाड़ देते है | इसके लिए नींबू के रस में समुद्रफेन मिलाकर रात को सोते समय धब्बों पर लगायें | अथवा केवल नींबू रस ही लगाते रहें |जवानी के कील-मुंहासे – नींबू का रस चार गुनी गिल्सरीन में मिलाकर चेहरे पर रगड़ें | इस प्रयोग को कुछ समय तक करते रहने से कील, मुंहासे आदि मिट जाते हैं और चेहरा कांतिवान हो जाता है |
दंत-रोग 1नींबू के रस को ताजा जल में मिलाकर कुल्ला करने से दांतों के अनेक रोग दूर हो जाते हैं | मुख की दुर्गन्ध जाती रहती है | रस रहित ताजे नींबू के छिलके से दांतों को रगड़ने से वे साफ़, सुंदर, चमकदार हो जाते हैं |2. नींबू के छिलके सुखाकर, कूटपीस के मंजन बना लें | इस मंजन को करने से दांत मजबूत, साफ़ व मोती जैसे चिकने हो जाते हैं |नींबू का रस, सरसों का तेल व पिसा नमक मिश्रित कर

प्रतिदिन मंजन करें | यह प्रयोग दांतों के समस्त रोगों को दूर कर उन्हें मजबूत और चमकदार बनाता है |4. पयेरिया में मसूढ़ों पर नींबू का रस मलते रहने से रुधिर व पीव का स्त्राव रुक जाता है |नकसीर फूटना – नासछिद्रों (नथुनों) में 2-2 बूंद ताजा नींबू का रस टपकाने से नाक से निकलने वाला खून तुरंत बंद हो जाता है|जुकाम – नींबू का रस गुनगुने गर्म जल में डालकर पीने से जुकाम में लाभ होता है

|सिर-दर्द – गर्म चाय में दूध के स्थान पर नींबू का रस डालकर रोगी व्यक्ति को पिलाकर लिटा दें, दर्द समाप्त हो जायेगा |नींबू के दो सामान्य टुकड़े करके उन्हें किंचित गर्म कर मस्तिष्क व कनपटियों पर लगाकर रोगी को हवा लगने से बचा लें, सिरदर्द से मुक्ति मिल जायेगी |3. सिर में चक्कर आने का कारण गैस-ट्रबल हो तो नियमित रूप से कुछ दिनों तक किंचित गर्म पानी में नींबू निचोड़ कर पीना चाहिए |
कंठदाह, कास, खांसी, जुकाम व सिरदर्द – फेफड़ों में कफ जम गया हो जो कठिनाई से निकलता हो |

खांसी, जुकाम पुराने पड़कर रोगी व्यक्ति के जीवन को ग्रस्त रहें हों तो भीगे हुए कपड़े में नींबू लपेट, भूभल में गर्म कर तुरंत निचोड़ लें और उसमें शहद मिलाकर मात्रा 4-5 ग्राम दिन में 2-3 बार चाटने से कफ सरलता से निकल जायेगा |निर्देश – 1. जिस खांसी में कफ पतला निकलता हो उसमें उक्त योग न दें |2. उक्त प्रयोग से गले के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं |3. मधु के आभाव में कंठ के रोगों के लिए नींबू के रस में गर्म पानी (अनुपात 1:4) में नमक मिलाकर गरारे करने चाहिए | इससे गले की सूजन, गला बैठ जाना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं |

दाद – नौसादर को नींबू के रस में पीसकर दाद पर कुछ दिनों तक नियमित लगाने से दाद साफ हो जाते है |वमन (उल्टी आना) – जी मिचलाना प्रारम्भ हो तो कालीमिर्च, नमक मिला नींबू का रस चूस लेने से जी मिचलाना रुक जाता है

और वमन नहीं होती |यदि शिशु दूध उलटता हो तो ताजा पानी में कुछ बूंदें नींबू के रस की मिलाकर पिलाना चाहिए |प्लीहा (तिल्ली बढ़ जाना) – नींबू के दो टुकड़े करके सेक लें | तत्पश्चात उसमें नमक व पिसी काली मिर्च डाल कर चूसते रहने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है |हैजा – नींबू का रस गर्म पानी में मिलाकर रोगी को पिलायें यदि वह वमन करता रहे, फिर भी पिलाते रहें | वमन होने से उदर साफ होकर रोग जाता रहेगा | यह निदान रोग की प्रारम्भिक अवस्था है |

हाई ब्लडप्रेशर – किसी भी प्रकार से नींबू के रस का प्रयोग करने से रक्तवाहिनियाँ कोमल और लचकदार हो जाती हैं | हार्ट फेल होने का भय नहीं रहता और रक्तचाप सामान्य बना रहता है |

मलेरिया – उबलते हुए जल में नींबू का रस मिलाकर रात को मिटटी के बर्तन में ढककर रख दें | प्रातः थोड़े थोड़े अंतर से इसे पीने से मलेरिया का बुखार आना बंद हो जाता है |गैस-ट्रबल – पेट में गैस बनने के कारण अपच, अनिद्रा, उदर-शूल व भारीपन आदि विकार उत्पन्न हो जाते हैं | अपानवायु के न निकलने व उदर में भारीपन की स्थिति में गर्म जल में नींबू का रस मिलाकर बार-बार पीते रहने से शरीर के समस्त विकार दूर हो जाते हैं |

कोष्ठ शुद्धि होकर भूख बढ़ जाती है | नवशक्ति का संचार होता है | मानसिक दुर्बलता, सिर दर्द और नेत्रों का धुंधलापन दूर हो जाता है |नींबू में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होने के कारण शरीर में विटामिन सी की कमी से होने वाले रोग- स्कर्वी, रक्तस्राव, दमा, कुकर खांसी, पायोरिया, हड्डी के जोड़ों में दर्द (अस्थिसंधिशूल), एनीमिया आदि दूर हो जाते हैं |

हिस्टीरिया – गर्म जल में नींबू का रस, नमक, पिसी हींग, जीरा व पोदीना मिलाकर लगभग 40 दिन तक पीते रहने से रोग-मुक्त हुआ जा सकता है |संधिशूल (जोड़ों का दर्द) – शरीर के जोड़ों के दर्द पर नींबू का रस मलते रहने से दर्द व सूजन समाप्त हो जाती है, चाहे दर्द का कारण वात-विकार हो अथवा कोई और |झाई, चकत्ते – ताजा रसदार नींबू का टुकड़ा रगड़ते रहने से चकत्ते, झाई ठीक हो जाते है |रक्तस्राव – मूत्राशय, गुर्दा, फेफड़े या आमाशय से रुधिर निकल रहा हो तो, ताजा ठंडे जल में नींबू का रस 3-4 बार रोगी को दशानुसार पिलाना चाहिए |टी.बी.(यक्ष्मा) – टी.बी. की प्रारम्भिक अवस्था में लगभग 20 ग्राम नींबू के रस को एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर 11 नग तुलसी के पत्ते, हिंग, नमक व भुना-पिसा जिरा डालकर कुछ दिनों तक दिन में कई बार पिलाते रहने से हर समय रहने वाला ज्वर ठीक हो जाता है | टी.बी. के जीवाणु नष्ट हो जाते हैं |दमा – नींबू का रस, शहद व अदरक का रस उचित मात्रा में गर्म पानी में मिलाकर पिते रहने से दमा रोग में मुक्ति मिल जाती है | उदर रोग, ब्लडप्रेशर, ह्रदय रोग के लिए भी एक उत्तम टानिक है |कब्ज – रात्रि काल में सोते समय गर्म जल में नीबू का रस मिलाकर पीते रहने से दस्त ठीक होता है और पेट में भारीपन नहीं रहता |मिर्गी – नींबू के साथ थोड़ी हींग चूसें |डायबीटीज में अधिक प्यास लगने पर जल में नींबू निचोड़कर उस जल को पिलायें |बच्चों की साँस फूलती हो – बच्चों की साँस फूलती हो तो उन्हें नींबू का रस एंव शहद मिलाकर चटायें |डिफ्थीरिया (रोहणी) – नींबू का रस चूसें | (2) नींबू का रस जल में मिलायें, उससे कुल्ला (गरारे) करें |हिचकी आना – 1 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस, दोनों आपस में मिला लें | उसमे आवश्यकतानुसार नमक डालकर पीयें |मकड़ी, बिच्छू, मधुमक्खी आदि के काटने पर – नींबू में नमक मिलाकर दंशित स्थान पर रगड़ें | इससे जलन शान्त हो जायेगी |

पिस्सू, खटमल आदि द्वारा काटने पर नींबू दंशित स्थान पर मलें |मच्छर द्वारा काटने पर – दंशित स्थान पर नींबू का रस लगायें |बदहजमी – अदरक की चटनी में नींबू का रस डालकर सेवन करें | ह्रदय रोगी नींबू का सेवनकरेंबवासीर – 2 ग्राम नींबू के कपड़छन रस में सममात्रा में जैतून का तेल मिलाकर ग्लीसरीन सीरिंज द्वारा रात में कुछ काल तक नियमितरुप से गुदा में प्रवेश कराते रहने से जलन, दर्द कम हो जाता है |

शौच में कष्ट नहीं होता, मस्से छोटे होने लगते हैं |बवासीर के तेज दर्द व रक्तस्राव होने पर ताजा जल में नींबू का रस डालकर पीना लाभ करता हैखूनीबवासीर – गर्म दूध में आधे

नींबू का रस मिलाकर आवश्यकतानुसार या प्रति 3 घंटे के अंतर से देना चाहिए |फ्लू – जुकाम, नजला शरीर में अकड़न होने की स्थिति में गर्म पानी में नींबू का रस मिलाकर लेना हितकारी होता है |

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